शिव ओम ...... ।। हे भोलेनाथ । आप कितने दयालु हो । आप ने संसार की भलाई हेतु विषपान किया । आपने मानवता को हानि पहुँचाने वाली सभी वसतुएं जैसे--- आक, धतुरा, भांग, विष और मादक पदाथॆ इतयादि खुद गृहण किए ताकि समाज इनसे बचा रहे । परंतु हमने सवाथॆवश इन सब चीजौं को अपना लिया, अपनी मुखृता के कारण औऱ बहाना यह कि शिव भी इन सब का सेवन करते हैं । शिव औम ....... । हे भोलेनाथ, सब पर कृपा करो । सब को सदबुदि दो ।
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